जाने संसद के बारे में विस्तार से

Sansad in Hindi
Sansad in Hindi
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संसद किसे कहते हैं ?

संसद राज्यसभा तथा लोकसभा से मिलकर बना है.  भारतीय संविधान में अनुच्छेद 79 के तहत भारतीय संघ के लिए एक संसद होगी. जिसमे राष्ट्रपति व दोनों सदन लोकसभा एवं राज्य सभा होंगे. इस भारत में द्विसदनात्मक विधायिका की व्यवस्था की गई है.

संसद से जुड़े अनुच्छेद – Sansad in Hindi

संसद अनुच्छेद 79 के अन्तरगत आता है  राज्यसभा अनुच्छेद 80 के अन्तरगत आता है  लोकसभा अनुच्छेद 81 के अन्तरगत आता है 

राज्यसभा का गठन – 

राज्यसभा का गठन 3 अप्रैल 1952 को हुआ था. इसकी प्रथम बैठक 13 मई 1952 को उप- राष्ट्रपति डॉक्टर एस. राधाकृष्ण की अध्यक्षता में हुई थी. इसका विघटन किया जा सकता है. अनुच्छेद 80 जे तहत राज्यसभा का गठन अधिकतम 250 सदस्यों द्वारा होगा. जिनमे 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाते है. जो साहित्य, विज्ञानं,कला,समाजसेवा में विशेष ज्ञान रखने वाले होते है तथा शेष 238 सदस्य राज्यों तथा संघ राज्यों की विधान सभाओं की निर्वाचित सदस्यों द्वारा अनुपलिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है. राज्य सभा में राज्यों को प्रतिनिधित्व उनकी जनसंख्या के अनुपात में दिया जाता है. इस प्रकार राज्यसभा में किस राज्य से कितनी सीटें होगी इसका निर्धारण चौथी अनुसूची में किया गया है.

सदस्य की योग्यता –

  1. भारत का नागरिक होना चाहिए
  2. आयु कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिए
  3. सदस्य का नाम उस विधानसभा के कम से कम 10 सदस्यों द्वरा प्रस्तावित होना चाहिए.

कार्यकाल –

राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है. राज्य सभा के सदस्य एक कार्यकाल पूरा नहीं करते है बल्कि इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक दूसरे वर्ष की समाप्ति पर सेवानिव्रत हो जाते है. इसके सदस्य किसी भी समय सभापति को त्यागपत्र देकर सदस्यता से मुक्त हो सकते है.

पदाधिकारी

  1. सभापति – भारत का उप. राष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभा पति होता है. पर यह राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है लेकिन दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा चुना जाता है.
  2. उप. सभापति – राज्य सभा अपने सदस्यों में से किसी एक सदस्य को अपना उप सभापति चुनती है. जो सभापति की अनुपस्थिति में कार्यों का निर्वहन करता है.
  3. अन्य व्यक्ति – राज्य सभा का वह सदस्य जिसे राष्ट्रपति नाम निर्देशित करे वह उन दोनों की अनुपस्थिति में कार्यों का निर्वहन करता है.
अधिवेशन – एक वर्ष में दो अधिवेशन होते है. पर इसके अधिवेशन की अंतिम बैठक तथा अगले अधिवेशन की पहली बैठक हेतु नियत तिथि के मध्य 6 माह का अंतर नहीं होना चाहिए.

शक्तियां व कार्य –

  • अखिल भारतीय सेवाओं की व्यवस्था – अनुच्छेद 312 के तहत दो तिहाई सदस्यों के बहुमत द्वारा.
  • राज्यसूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार – अनुच्छेद 249 के तहत दो तिहाई सदस्यों के बहुमत द्वारा. इस तरह पारित संकल्प 1 वर्ष तक ही पारित रहता है.
  • वित्तीय शक्ति – राज्य सभा में केवल धन विधेयक में संसोधन प्रस्तुत कर सकती है. राज्य सभा धन – विधेयक को केवल 14 दिन तक रोक सकती है.
  • विधायी शक्ति – संविधान संसोधन,आपातकाल,राष्ट्रपति शासन जैसी प्रकिया राज्यसभा में पारित हुए बिना नहीं पूरी होती है.
  • राज्यसभा में गणमूर्ति कोरम संख्या 25 ( सदस्यों का 1/10 होना चाहिए)
राज्य सभा में शीटों का आवंटन  
  1. उत्तर प्रदेश – 31
  2. महाराष्ट्र -19
  3. तमिलनाडु – 18
  4. पश्चिम बंगाल – 16
  5. बिहार – 16
  6. कर्नाटक – 12
  7. आंध्रप्रदेश – 11
  8. मध्यप्रदेश – 11
  9. गुजरात – 11
  10. उड़ीसा – 10
  11. केरल – 9
  12. तेलंगाना – 7
  13. असम – 7
  14. पंजाब – 7
  15. झारखंड – 6
  16. छतीसगढ़ – 5
  17. हरियाणा – 5
  18. जम्मू कश्मीर – 4
  19. उतराखंड – 3
  20. हिमाचल प्रदेश – 3
  21. दिल्ली – 3
  22. अरुणाचल प्रदेश – 1
  23. गोवा – 1
  24. नागालैंड – 1
  25. मणिपुर – 1
  26. मेघालय – 1
  27. सिक्किम – 1
  28. त्रिपुरा- 1
  29. पुदुच्चेरी – 1
शीटों को याद रखने की ट्रिक
वो राज्य जिनकी राज्यसभा में एक शीट है. Trick - अरुण पांडू त्रिपुरा से 1 सिक्का और मेघालय से 1 नागमणि राज्य सभा में लाया.
11 शीट व 3 शीट वाले राज्य को याद रखने ट्रिक
Trick – 11 अंधे मध्य से गुजरे, 3 उतरे हमारे दिल में
  • आंध्रप्रदेश – 11
  • मध्यप्रदेश – 11
  • गुजरात – 11
  • उत्तराखंड – 3
  • हिमाचल प्रदेश – 3
  • दिल्ली – 3
राष्ट्रपति
राष्ट्रपति सदनों की बैठक व चर्चाओं में भाग नहीं लेता लेकिन राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है.
  • अनुच्छेद 85 के अंतर्गत राष्ट्रपति दोनों सदनों के अधिवेशनों को बुलाता है व उनका सत्रावसान करता है. संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक,राष्ट्रपति की स्वीक्रति से कानून बन सकता है.
  • अनुच्छेद 123 के अंतर्गत राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है.
  • अनुच्छेद 108 के अंतर्गत राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकता है.
  • अनुच्छेद 87 के अंतर्गत राष्ट्रपति प्रत्येक आमचुनाव के बाद और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र में सदनों को समवेत संबोधित करता है.
प्रथम सभापति -  डॉक्टर एस.राधा.कृष्ण प्रथम उपसभापति – S.V. क्रष्णमूर्ति राव वर्तमान सभापति – वैंकया नायडू  वर्तमान उप सभापति – हरिवंश  लोकसभा गठन – प्रथम लोकसभा का गठन 17 अप्रैल 1952 को हुआ था. इसकी पहली बैठक 13 मई 1952 को जी.वी. मावलेकर की अध्यक्षता में हुई थी.
लोकसभा के निम्न सदन है इसे लोकप्रिय सदन भी कहते है.
यह एक अस्थाई सदन है लोकसभा को कार्यकाल पूरा होने से पहले भंग किया जा सकता है प्रधानमंत्री की सिफिरिश पर राष्ट्रपति द्वारा ऐसा किया जा सकता है. अनुच्छेद 81 लोकसभा की संरचना से सम्बंधित है. मूल संविधान में लोकसभा सदस्यों की संख्या 500 निर्धारित की गई थी. परन्तु 17वें संसोधन 1956 के द्वारा 502 कर दी गई. इसके बाद 31वें संसोधन अधिनियम 1973 के द्वारा सदस्य की संख्या 545 कर दी गई. वर्तमान में लोकसभा सदस्य की अधिकतम संख्या 552 है जिनमें 530 राज्यों से व 20 संघ राज्यों से तथा 2 एंग्लो – इंडियन सदस्यों को मनोनयन राष्ट्रपति करता है.वर्तमान में लोकसभा सदस्यों की प्रभावी संख्या 545 है. लोक सभा का चुनाव सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर किया जाता है. 61वा संविधान अधिनियम 1989 के द्वारा मताधिकार की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई. इस प्रकार लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन से चुने जाते है. लोक सभा में राज्यों को जनसँख्या के आधार पर शीटें आवंटित होती है. 84वें संविधान संसोधन अधिनियम 2002 के द्वारा लोक सभा की कुल सदस्यों की संख्या शीटों लो संख्या 1971 की जनगणना के आधार पर कर दी गई है. यह निर्धारण वर्ष 2026 तक यथावत रहेगा. लोक सभा आम चुनाव में कोई प्रत्यासी अपनी जमानत खो देता है यदि उसे बैध मतों का 1/6 भाग प्राप्त कर पाता है.लोकसभा का (कोरम) गणपूर्ति संख्या, कुल सदस्य संख्या का 1/10 होता है. सदस्य की योग्यता –
  1. भारत का नागरिक होना चाहिए
  2. आयु कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए (अनुच्छेद 84 के अंतर्गत)
कार्यकाल –
  1. कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
  2. मंत्रीमंडल की सिफारिश पर इसे नियत समय से पूर्व भी राष्ट्रपति द्वारा विघटित किया जा सकता है. लोक सभा विघटन की स्थिति में 6 माह से अधिक नहीं रह सकती है.
अधिवेशन – एक वर्ष में कम से कम दो अधिवेशन होते है.लेकिन इसके अधिवेशन की अंतिम बैठक तथा अगले अधिवेशन की पहली बैठक हेतु नियत तिथि के मध्य 6 माह का अंतर नहीं होना चाहिए. विशेष अधिवेशन – राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा को ना मंजूर करने के लिए लोकसभा का अधिवेशन तब बुलाया जा सकता है. जब लोकसभा के अधिवेशन में न रहने की स्थिति में कम से कम 110 सदस्य राष्ट्रपति को अधिवेशन बुलाने के लिए लिखित सुचना दे या जब अधिवेशन चल रहा हो लोकसभा अध्यक्ष को इस आशय की सुचना डे. ऐसी लिखित सुचना अधिवेशन बुलाने की तिथि के 14 दिन पूर्व देनी पड़ती है. पदाधिकारी – लोकसभा अध्यक्ष – लोक सभा के अध्यक्ष का निर्वाचन लोकसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है. निर्वाचन किस तिथि को होगा इसका निर्णय राष्ट्रपति करता है. यह सामान्य सदस्य के रूप में शपथ लेता है. इसे लोकसभा का कार्यकारी अध्यक्ष, लोक सभा के सदस्य के रूप में शपथ दिलाता है. लोक सभा अध्यक्ष को सभापति (उपराष्ट्रपति) की भांति वेतन भत्ते मिलते है. साथ ही लोकसभा अध्यक्ष को केन्द्रीय मंत्री की भांति भट्टा देने का प्रावधान है. पदावधि – लोकसभा, आगामी लोकसभा के गठन के बाद उसके प्रथम अधिवेशन की प्रथम बैठक तक अपने पद पर बना रहता है. निम्न स्थितियों में अध्यक्ष अपने पद से मुक्त हो सकता है-
  1. उपाध्यक्ष को अपना त्यागपत्र देकर
  2. लोकसभा के सदस्यों के बहुमत से पारित होकर संकल्प द्वारा अपने पद से हटा दिया जाता है. पर ऐसा संकल्प लोकसभा में पेश करने की सुचना 14 दिन पूर्व देनी चाहिए.
कार्य व शक्तियां –
  • सदन में मर्यादा बनाये रखना
  • गणपूर्ति के अभाव में सदन की बैठक स्थगित करना
  • लोकसभा सदस्यों का त्यागपत्र स्वीकार करना
  • लोकसभा के सचिवालय पर नियंत्रण रखना
  • लोकसभा द्वारा पारित विधेयक को प्रमाणित करना
  • कोई विधेयक धन विधेयक हिया या नहीं इसका निर्णय करना
  • दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करना
  • पीठासीन अधिकारीयों के सम्मलेन की अध्यक्षता करना
  • दल – बदल कानून का उल्लंघन करने वाले सदस्यों को सदस्यता से अयोग्य निर्णीत करना
  • अन्तर्राष्ट्रीय संघ में संसदीय दल के नेता के रूप में कार्य करना
लोक सभा उपाध्यक्ष –  लोकसभा के सदस्य सदन के उपाध्यक्ष को चुनते है. उपाध्यक्ष के चुनाव में वही प्रकिया अपनाई जाती है जो अध्यक्ष के चुनाव में अपनाई जाती है. यह अध्यक्ष को त्यागपत्र देकर अपना पद छोड़ सकता है.
  • प्रथम लोकसभा अध्यक्ष – जी.वी. मावलंकर
  • प्रथम लोकसभा उपाध्यक्ष – अनंत शयनम आयंगर
  • लोकसभा अध्यक्ष – ओम बिड़ला (वर्तमान - जून 2019 से)
  • वर्तमान लोकसभा उपाध्यक्ष – एम.तंबीदुरै
 लोकसभा की शक्तियां व कार्य –
  • लोकसभा को संघ व समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है.
  • धन व वित्त विधेयक को केवल लोकसभा में ही प्रस्तावित किये जा सकते है पर वित्त विधेयक को दोनों सदनों में पारित होना आवश्यक है.
  • संघीय कार्यपालिका के प्रति उत्तरदायी है.
  • अविस्वास प्रस्ताव पारित कर लोकसभा प्रधानमंत्री व मंत्रीपरिषद को पदच्युत कर सकती है.
विधेयक -  प्रस्तवित कानून के प्रारूप को विधेयक कहते है. इसके दो प्रकार है –
  • सरकारी – मंत्रिपरिषद के सदस्यों द्वारा पेश विधेयक
  • गैर – सरकारी – उन सांसदों के द्वारा जो मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं है.
सामान्य विधेयक
धन विधेयक
यह संसद के किसी भी सदन में पुन: स्थापित किया जा सकता है. यह केवल लोकसभा में पुन: स्थापित किया जा सकता है.
पेश करने से पूर्व राष्ट्रपति से स्वीक्रति लेनी पड़ती है. पेश करने से पूर्व राष्ट्रपति की स्वीक्रति आवश्यक है.
संयुक्त बैठक का प्रावधान है. संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है
राष्ट्रपति इसे पुन: विचार के लिए लौटा सकता है. राष्ट्रपति इसे स्वीक्रत देने के लिए बाध्य है.
  वित्त विधेयक – प्रत्येक वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होता पर धन विधेयक, वित्त विधेयक होता है. वित्त विधेयक को राष्ट्रपति पुन: विचार हेतु लौटा सकता है. वित्त को दोनों सदनों में पारित होना आवश्यक है. इसे राज्य सभा में पुन: स्थापित नहीं किया जा सकता है. वित्त विधेयक पर संयुक्त बैठक का प्रावधान है. भारत की संचित निधि पर भारित व्यय (अनुच्छेद 266 के अंतर्गत)
  • राष्ट्रपति के वेतन भत्ते
  • सभापति,उपसभापति,लोकसभा व उपाध्यक्ष के वेतन भत्ते
  • भारत सरकार पर भारित ऋण व उनका ब्याज,उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशों के वेतन,पेंशन तथा उच्च न्यायालय के जजों की पेंशन.
  • नियंत्रक महालेखा परीक्षक के वेतन भत्ते
  • कोई अन्य व्यय जो संसद द्वारा संचित निधि पर भारित किये जाये.
आकस्मिक निधि (अनुच्छेद 267 के अंतर्गत) इस निधि से व्यय करने की शक्ति राष्ट्रपति को होगी संसदीय शब्दावलियाँ - Sansad in Hindi प्रश्नकाल – संसद के प्रत्येक सदन का कार्यक्रम का प्रारंभ प्रश्नकाल से प्रारंभ होता है.दोनों सदनों में प्रत्येक बैठक के पहले घंटे को समय प्रश्नकाल कहते है. प्रश्नकाल का समय 11 बजे से 12 बजे तक रहता है. शून्यकाल – प्रश्नकाल के ठीक बाद शून्यकाल का समय कहलाता है. यह 12 से शुरू होता है इसमें बिना किसी पूर्व सुचना के लोकहित के प्रश्न पूछ सकता है. इसकी अवधि अधिकतम 1 घंटे की होती है. तारांकित व अतारांकित प्रश्न – ये प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्न होते है. जिनका उत्तर मौखिक रूप से दिया जाता है वे तारांकित प्रश्न कहलाते है और जिनका उत्तर लिखित रूप में दिया जाता है वें आतारंकित प्रश्न कहलाते है. अविश्वास प्रस्ताव -  इसमें सदन से वाकआउट कर तथा गणपूर्ति का अभाव पैदा कर भी विधायिका अपना विरोध प्रकट करती है.
Sansad in Hindi PDF
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