Sudha Murthy biography

Sudha murthy biography


सादगी और समर्पण से भरी सुधा मूर्ति की  कहानी

डर एक ऐसा एहसास है जो हम सबकों ज़िन्दगी में कभी -  न कभी जरुर होता है. ऊंचाई का डर, अंधेरे का डर, हारने का डर सबसे बड़ा लोग क्या कहेंगे इस बात का डर, भीड़ से अलग चलने का डर, कुछ अलग, कुछ नया करने का डर क्यूंकि जब आप भीड़ से अलग चलते है, कुछ नया करते है. आपको अपने रास्ते पर अकेले ही चलना होता है और अपने रास्ते पर अकेले चलने के लिए बिना के किसी के सहारे के अपनी मुश्किलें हल करने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए. जो शायद हर किसी में नहीं होती.

लेकिन हम सब ने यह सुना ही होगा कि डर के आंगे जीत है तो आज की हमारी कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसने लोग क्या कहेंगे इसकी परवाह नहीं की जिसने अपने रास्ते पर अकेले चलने की हिम्मत की आज हम बात करेंगे एक ऐसी लड़की की जो की आगे चलकर वीमेन अम्पायर की एक मिशाल बनी. 

तो दोस्तों मेरी आज की कहानी है एक ऐसी लड़की कि जिसका नाम है सुधा जो इंजीनियरिंग कॉलेज में एक अकेली लड़की थी. और यह बात अभी की मॉडर्न टाइम की नहीं है यह बात है 60 के दशक की 1960 की कहाँ उस समय लड़कियां लम्बे - लम्बे बाल रखा करती थी, चोटी बनाया करती थी और वह लड़की बॉब हेयर कट में घुमती थी. उस समय इंजीनियरिंग को सिर्फ लड़कों के लिए माना जाता था लेकिन उसे यह कहाँ मंजूर था. 

अब क्योंकि उस पुरे इंजीनियरिंग कॉलेज में सिर्फ एक ही लड़की थी उससे पहले कोई लड़की वहां आई ही नहीं इसलिए उस समय उस कैम्पस में एक वीमेन टॉयलेट भी नहीं था. 150 स्टूडेंट की स्ट्रेंथ की क्लास में वह अकेली लड़की थी. हर सुबह और हर लंच ब्रेक के बाद कभी उसकी पीठ पर स्याही फेकीं जाती तो क्लास दौरान कभी उसके तरफ कागज के हवाई जहाज पर उसने भी हार नहीं मानी और चाहे सामने वाला हमें कितना ही परेशान क्यों न कर ले हम क्या है और कैसे है यह उसे भी अच्छी तरह पता होता है.

खासकर मनुष्य एक ऐसी प्रजाति है जो अपने दुश्मन और दोस्त दोनों के बारे में ही पूरी जानकारी रखते है और इसी तरह उस लड़की को परेशान करने वाले उसके क्लासमेट्स को भी उस लड़की की एग्जाम रिजल्ट से पहले ही पता होता था जब एग्जाम रिजल्ट बुलेटिंग बोर्ड पर लगाया जाता तो उस लड़की का नाम सबसे ऊपर होता वह पढाई में काफी होशियार थी.

telco

वह पहली लड़की थी जिसने जिसने Telco में जॉब के लिए Apply किया. Telco ने अपने प्लेसमेंट फॉर्म में साफ़ - साफ़ अच्छरों में कहा था कि फीमेल कैंडीडेटस को Apply करने के जरुरत नहीं है. तो ऐसा अगर आपके समय में हुआ होता तो लोग ट्विटर और फेसबुक पर जंग छेड़ देतें. तो दोस्तों क्या आप जानते है कि इस लड़की ने क्या किया उसने JRD Tata को लेटर लिखा और उनसे कहाँ की आप हमेशा भविष्य की सोचते है तो आप कैसे लड़की और लड़के में अंतर कर सकतें है. आपके यहाँ जॉब के लिए सिर्फ लड़के ही अप्लाई क्यों कर सकते है ? लड़कियां क्यों नहीं ?

इसके बाद उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और उन्हें उनकी इंटेलिजेंस की वजह से हायर भी कर लिया गया. नौकरी मिलने के जल्द बाद ही सुधा की शादी हो गई शादी के बाद एक समय ऐसा आया जब सुधा के पति ने उनसे कहा कि वह खुद का एक बिज़नस शुरू करना चाहते है. उनके खुद के कुछ आइडियाज है जिन पर मै काम करना चाहता हूँ. लेकिन उनके पास सिर्फ आइडिया ही था पैसे नहीं तो सुधा ने अपनी सेविंग्स में से 10,000 उन्हें दिए और कहा कि आपके पास 3 साल का समय है आप इस दौरान अपने सपने पर काम करिए और इन तीन सालों में घर का खर्चा और बाकी जिम्मेदारियाँ मैं उठाऊंगी. 

पर अगर 3 साल में आपका आईडिया काम नहीं किया तो उसके बाद वापस आपको जॉब करनी पड़ेगी. अब उनके पति ने घर को ऑफिस बना लिया था और वह अपने साथियों के साथ मिलकर काम करने लगें इस दौरान सुधा ने वालचंद ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्री के साथ सीनियर सिस्टमएनालिस्ट ताकि वह परिवार की आर्थिक जरूरत को पूरा कर सके. इस दौरान उन्होंने घर और बाहर की सभी जिम्मेदारियाँ बखूबी निभाई. धीरे - धीरे उनके पति का सपना साकार होने लगा. 

इनफ़ोसिस

क्या आप जानते है उनके पति का आईडिया क्या था इनफ़ोसिस. जी हाँ इन्फोसिस की शुरुआत करने वाले नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति ही हमारी आज की कहानी की नायिका है. जब सुधा मूर्ति जी टेल्को को छोड़कर अपने पति नारायण मूर्ति जी के साथ काम करने का समय आया तब JRD Tata जी ने उनसे कहा था कि अगर आप इतना पैसा कमा लेतें है कि अपनी खुद की जरूरते पूरी करने के बाद भी आपके पास पैसा काफी बचता है तो उसे समाज के लिए जरुर लगाना क्यों कि इस समाज से ही आपको वह कामयाबी और तरक्की समाज से ही मिली है. टाटा जी के यही शब्द सुधा जी के इन्सप्रेशन बन गए.

1997 में इनफ़ोसिस फाउंडेशन ट्रस्टी में से एक थी आज सुधा मूर्ति भारत की सबसे अमीर महिलाओं में से एक है. पर फिर वह शादगी से अपना जीवन जीती है. और अपना काम करती है.उन्होंने लोगों के लिए बहुत काम किये होस्पिटल बनवाएं, स्कूल खुलवाएं, आनाथआलय बनवाये, 3500 से ज्यादा लायब्रेरीज और 10,000 से ज्यादा टॉयलेटस का इन्तेजाम किया. उन्होंने वीमेनएम्पोवेर्मेंट पब्लिकहाइजीन आर्ट एंड कल्चर एजुकेशन और हेल्थकेयर में अपना योगदान दिया.

क्या आप जानते है कि सुधा मूर्ति एक बेस्ट सेलिंग राइटर भी है उन्होंने 1.5 मिलियन से भी ज्यादा बुक्स बेचीं है. जिसमे चिल्ड्रन बुक्स, शोर्ट स्टोरीज, टेक्निकल बुक्स, 24 नोवेल्स, नॉनफिक्शन बुक्स भी शामिल है. तो मेरे दोस्तों अगर कुछ बड़ा बनना है जिन्दगी में अपना नाम कमाना है तो किसी ऐसी इन्सान से सीख लो जिसने खुद संघर्ष किया हो, स्ट्रगल किया हो जैसी हमारी आज की कहानी की नायिका सुधा मूर्ति ने किया.

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