lokgeet in hindi

lokgeet in hindi - mp lokgeet

mp lokgeet - राज्य के प्रमुख लोकगीत

मध्यप्रदेश के प्रमुख लोकगीत - Mp gk
निरगुणिया गीत -
क्षेत्र -  सम्पूर्ण निमाड़ एवं मालवा अंचल में
अवसर  -  किसी भी समय साधु एवं भिक्षकों द्वारा
विषय वस्तु -  कबीर गायन,रैदास, दादू आदि संतों के भक्ति पदों का गायन
गायन शैली - एकल एवं समूह शैली

कलगी तुर्रा
क्षेत्र -  सम्पूर्ण निमाड़ अंचल में 
अवसर -  शक्ति एवं शिव के समय में रात के समय गाया जाता है. 
विषय वस्तु - आशु कविता के साथ- साथ महाभारत की कथाओं,पौराणिक आख्यानों से लेकर प्रसंगों का गायन
गायन शैली - कलगी तुर्रा की प्रतिस्पर्ध्दात्मक लोक गायन शैली.

सन्त सिन्गाजीभजन -
क्षेत्र -  समूचे निमाड़ एवं मालवा के कुछ हिस्सों में.
अवसर -  किसी भी अवसर पर
गायन शैली - उच्च स्वर में एकल एवं समूह गायन शैली.

फाग गीत - 
क्षेत्र -  निमाड़, बघेलखंड एवं बुन्देलखंड में
अवसर - होली के अवसर में 
विषय वस्तु -  राधा कृष्ण की लीलाओं से सम्बंधित
गायन शैली - ऊँचे स्वर में सामूहिक गायन.

गरबा गीत -  
क्षेत्र -  निमाड़ अंचल में स्त्रीपरक लोकगीत 
अवसर -  नवरात्रि में 
विषय वस्तु - देवी के भक्ति गीत
गायन शैली -  न्रत्य सहित द्रुत सामूहिक गायन शैली.

गरबी गीत - 
क्षेत्र -  निमाड़अंचल में पुरुषपरक लोक गीत
अवसर -  नवरात्रि के अवसर पर 
विषय वस्तु - गरबी की विषय वस्तु भक्ति,श्रंगार और हास्यपरक होती है.
गायन शैली -  न्रत्य सहित द्रुत सामूहिक गायन शैली.

गबलन गीत -
क्षेत्र -  निमाड़ अंचल में पुरुषों द्वारा गायन 
अवसर - अधिकतर पर्व - त्योहारों के अवसर पर 
विषय वस्तु -  मूलत: कृष्ण की रासलीला से सम्बंधित 
गायन शैली -  म्रदंग एवं ढोलक पर एकल सामूहिक गायन शैली

नागपन्थी गीत -
क्षेत्र -  निमाड़ के अंचल में 
अवसर  - प्राय: सुबह के समय 
विषय वस्तु -  कबीर के पद एवं भरथरी गायन 
गायन शैली - रेकड़ी बजाते हुए एकल गायन शैली

संजा गीत -  
क्षेत्र - मालवा अंचल में
अवसर  - पितृ पक्ष में शाम के समय 
विषय वस्तु -  गोबर एवं फूल-पत्तियों से दीवाल पर संजा बनाकर उससे सम्बंधित बाल्यावस्था की कोमल भावनाओं के गीत.
गायन शैली - सामूहिक गायन

हीड़ गीत - 
क्षेत्र -  मालवा अंचल में 
अवसर -  श्रावण के माह में 
विषय वस्तु -  ग्यारस माता की कथा तथा कृषि संस्कृति का सूच्म वर्णन.
गायन शैली -  प्रतिस्पर्ध्दात्मक अलाप शैली.

बरसाती बारात गीत - 
क्षेत्र -  मालवा अंचल में 
अवसर -  बरसात के समय रात में 
विषय वस्तु - ऋतु कथा गीत एवं बारहमासा गीत गाए जाते है.
गायन शैली - चम्पू काव्य की सामूहिक गायन शैली.

लावनी गीत -
क्षेत्र - मालवा एवं निमाड़ अंचल में 
अवसर - प्राय: सुबह 
विषय वस्तु - निर्गुणी दार्शनिक गीत
गायन शैली -  सामूहिक द्रुत गायन शैली

आल्हा गीत -
क्षेत्र -  बुन्देलखण्ड में मुख्य रूप से 
अवसर -  प्राय: वर्षा ऋतु में रात के समय 
विषय वस्तु -  महोबा के आल्हा एवं उदल की वीर गाथा 
गायन शैली -  एकल एवं सामूहिक गायन शैली उच्च स्वर सहित.

भोला या लमटेरा गीत - 
क्षेत्र -  बुन्देलखण्ड में 
अवसर -  शिवरात्रि,बसंत पंचमी एवं मकर संक्राति के समय 
विषय वस्तु -  शिव एवं शक्ति की भक्ति से सम्बंधित भजन गीत
गायन शैली - स्त्री - पुरुष में प्रश्नोत्तर शैली.

बेरायता गीत - 
क्षेत्र -  बुन्देलखण्ड में 
अवसर -  धार्मिक त्योहारों के अवसर पर रात के समय गाया जाता है.
विषय  वस्तु -  महाभारत की कथाओं, लोक नायकों की कथा तथा ऐतिहासिक चरित्र का गायन
गायन शैली - सवांद युक्त कथा गायन शैली

देवासी गीत - 
क्षेत्र - बुन्देलखण्ड में
अवसर -  दीपावली के अवसर पर अहीर,गवली ग्वालों द्वारा
विषय वस्तु -  कृष्ण -  राधा प्रेम प्रसंग, भक्ति वीर रसयुक्त दोहे
गायन शैली -  द्रुत नृत्य सहित दोहा गायन शैली 

जगदेव का पुवारा -  
क्षेत्र - बुन्देलखण्ड में 
अवसर -  चैत्र और क्वार माह में 
विषय वस्तु -  देवी की स्तुति से सम्बंधित भजन
गायन शैली -  सामूहिक भजन शैली

बसदेवा गीत - 
क्षेत्र - बघेलखण्ड में 
अवसर - हरबोले जाति द्वारा अपने यजमान के समक्ष दिन में गाया जाता है.
विषय वस्तु -  श्रवण कुमार की कथा, रामायण कथा, कर्ण कथा आदि
गायन शैली -  सामूहिक गाथा गायन शैली

बिरहा गीत - 
क्षेत्र - बघेलखण्ड में 
अवसर - किसी भी समय, सूनसान राहों में,गोंड एवं बैगा आदिवासी विवाह एवं दीपावली के अवसर पर
विषय वस्तु - श्रंगारपरक विरह गीत
गायन शैली -  ऊँची टेरी सहित सवाल - जवाब गायन शैली

विदेशिया गीत - 
क्षेत्र -  बघेलखण्ड में 
अवसर -  रात के समय प्राय: जंगल एवं सुनसान जगहों में
विषय वस्तु -  लोक नायक एवं नायिका के विछोह एवं मिलन की अभिलाषा के गीत
गायन शैली -  लम्बे राग सहित गंभीर एकल तथा सामूहिक गायन शैली

ढोल - मारू गीत /लोकनाट्य
क्षेत्र -  मालवा, निमाड़ तथा बुन्देलखण्ड में
अवसर - ढोला - मारू गीत गायन रात के समय ढोला- मारू नाटक के साथ- साथ किया जाता है.
विषय वस्तु  - ढोला एवं मारू की प्रेम की प्रेम कथा का गायन किया जाता है.
गायन शैली -  उच्च स्वर सहित लोक गायन शैली

पण्डवानी गीत/ लोकनाट्य -
क्षेत्र - शहडोल, अनुपूर एवं बलाघाट में
अवसर -  अधिकतर शाम के समय आयोजित किया जाता है.
विषय वस्तु -  पाण्डवों लो कथा का वर्णन किया जाता है.
गायन शैली - उच्च स्वर सहित एकल कथा गायन  शैली

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