भारतीय संविधान की अनुसूंची

 Bhartiya samvidhan ki anusuchi trick

भारतीय संविधान की अनुसूंची ट्रिक 

Bhartiya samvidhan ki anusuchi



भारतीय संविधान में मूल रूप से 8 अनुसूंची है लेकिन वर्तमान में 12 अनुसूंची है।  4 अनुसूंची संविधान संसोधन से आयी है।  
1. केंद्र और राज्य
ट्रिक -  में इसकी नौकरी लगी )
2. वेतन भत्ता , पेंशन ट्रिक -   अब नौकरी करेगा उसे तो वेतन भत्ता ,पेंशन मिलेगी )
3. शपथ ट्रिक -  लेकिन नौकरी करने से पहले शपथ ग्रहण करेगा )
4. राज्य सभा में प्रतिनिधित्व ट्रिक -  उसकी राज्य सभा में नौकरी लगी)
5. SC और ST के लिए विशेष प्रावधान ट्रिक -  राज्य सभा में SC और ST के लिए विशेष प्रावधान बनाया गया)
6. MATM ( मेघालय ,असम ,त्रिपुरा,मिजोरम ) ट्रिक -  अब नौकरी लग गई तो वेतन निकलने ATM में जायेगा)
7. समवर्ती सूंची,राज्य सूंची,संघ सूंचीट्रिक -  अब उसको डबल प्रभार दे दिया गया यानि कि राज्य में और संघ में नौकरी उसी नौकरी लग गई। अब राज्य सूंची + संघ सूंची = समवर्ती सूंची )  
8. 22 भाषाओं का उल्लेख ट्रिक - अब उसकी नौकरी राज्य और संघ में लग गई तो  उसे हर राज्य के व्यक्ती मिलेगे  और उससे अलग -अलग भाषाओं में बात करेगें)

4 अनुसूंची संविधान संसोधन से आयी है। 
9. अनुसूंची के तहत सम्पत्ती अधिग्रहण को जोड़ा गया।  
10. दल - बदल (52 वाँ अनुच्छेद ) संसोधन 
11. पंचायती राज (73 वाँ ) संसोधन
12. नगर पालिका (74 वाँ ) संसोधन 

भारतीय संविधान की अनुसूंची विस्तार से 



  • प्रथम अनुसूंची - पहली अनुसूंची में 29 राज्य एवं 7 केंद्र शासित प्रदेशों का उल्लेख किया गया था । परन्तु 2019 में मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर से अपना प्रावधान पूरी तरह से हट गया है।   इस फैसले के मुताबिक अब केंद्रशासित राज्यों की संख्या बढ़कर सात से नौ हो गई।  इनमें दो नाम नए जोड़े गए हैं, वो जम्मू कश्मीर और लद्दाख है और देश में राज्‍यों की संख्‍या घटकर 28 रह जाएगी। 
पहले के केंद्रशासित प्रदेश
1.अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह 
2. चण्डीगढ़ 
3. दमन और दीव
4.दादरा और नगर हवेली
5.दिल्ली
6.पुडुचेरी
7.लक्षद्वीप

अब के केंद्रशासित प्रदेश -  

1.अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह 
2. चण्डीगढ़ 
3. दमन और दीव
4.दादरा और नगर हवेली
5.दिल्ली
6.पुडुचेरी
7.लक्षद्वीप
8.जम्मू कश्मीर
9. लद्दाख
  • दूसरी अनुसूंची -  दूसरी अनुसूंची में राज्य व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों ( राष्ट्रपति , राज्यपाल , लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति एवं उप सभा पति, उच्चतम न्यायलय एवं उच्च न्यायलय के न्यायधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि को प्राप्त होने वाले वेतन भत्ते और पेंशन का उल्लेख किया गया है।  
  • तृतीय अनुसूंची - इसमें विभिन्न पदाधिकारियों ( राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , मंत्री , उच्चतम एवं उच्च न्यायलय के न्यायधीशों द्वारा पद ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है। 
  • चौथी अनुसूंची - इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघ हीन क्षेत्रों की राज्य सभा में प्रतिनिधि का विवरण दिया गया है।  
  • पांचवी अनुसूंची - इसमें विभिन्न अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति के प्रसासन और नियंत्रण के बारे में उल्लेख है। 
  • छठवी अनुसूंची - इसमें असम , मेघालय , त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है।  
  • सातवीं अनुसूंची - इसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के बटवारे के बारे में दिया गया है।  इसके अंतर्गत 3 अनुसूचियाँ है।   1. संघ सूंची 2. राज्य सूंची 3. समवर्ती सूंची 
  1. संघ सूंची - इस सूंची में दिए गए विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है।  संविधान के लागू होने के समय इसमें लगभग 97 विषय थे।  वर्तमान में 100 विषय थे। 
  2. राज्य सूंची - इस सूंची में दिए गए विषय पर राज्य सरकार कानून बनती है।  राष्ट्रीय हित से सम्बंधित होने पर केंद्र सरकार कानून बना सकती है।  संविधान के लागू होने के समय इसमें 66 विषय थे।  वर्तमान में 61 विषय है।  
  3. समवर्ती सूंची - इसके अंतर्गत दिए गए विषय पर केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारे कानून बना सकती है।  परन्तु कानून के विषय सामान होने पर केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होगा।  राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून केंद्र सरकार के कानून बनने के साथ ही समाप्त हो जाता है।  संविधान लागु होने समय इसमें 47 विषय थे वर्तमान में 52 विषय है।  
नोट - जम्मू कश्मीर में अपना संविधान है। समवर्ती सूंची का प्रावधान जम्मू कश्मीर राज्य के राज्य के सम्बन्ध में नही है। परन्तु 2019 में मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर से अपना प्रावधान पूरी तरह से हट गया है।
  • अठवी अनुसूंची - इसमें भारत के 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है । मूलरूप से आठवी अनुसूंची में 14 भाषाएँ थी । 1967 ईस्वी में (21 वां संशोधन ) में सिंधी को, 1992 ईस्वी में (71 वां संसोधन) में कोकणी ,मणिपुर तथा नेपाली को और 2003 ईस्वी में (92 वां संसोधन) में मैथली संथाली,डोगरी एवं ब्रोड़ों को आठवी अनुसूंची में शामिल किया गया । 
  • 9 वीं अनुसूंची - संविधान में यह अनुसूंची प्रथम संविधान संसोधन 1951 ई॰ के द्वारा जोड़ी गई । इसके अंतर्गत राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है । इस अनुसूंची में सम्मिलित विषयों को न्यायलय में चुनौती नहीं दी जा सकती है । वर्तमान में इस अनुसूंची में 284 अधिनियम है । 
नोट - अब तक यह मान्यता थी की संविधान की 9 वीं अनुसूची में सम्मिलित कानूनों की न्यायिक समीक्ष्य नहीं की जा सकती है।  लेकिन 11 जनवरी 2007 के संविधान पीठ के एक निर्णय द्वारा यह स्थापित किया गया की 9 वीं अनुसूची में सम्मिलित किसी भी कानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है की वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तथा उच्चतम न्यायलय इस कानून की समीक्षा कर सकता है।  
  • 10 वीं अनुसूची - यह संविधान में 52 वे संसोधन 1985 ई. के द्वारा जोड़ी गई।  इसमें दल - बदल से सम्बंधित नियमों का प्रावधान है।  
  • 11 वीं सूंची - यह अनुसूची संविधान में 73 वे सैविधानिक संसोधन 1993 के द्वारा जोड़ी गई है।  इसमें पंचायती राज संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किये गए है। 
  • 12 वीं सूंची  - यह अनुसूंची संविधान में 74 वें सैविधानिक संसोधन 1993 द्वारा जोड़ी गई इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को कार्य करने के लिए 18 विषय प्रदान किये गए है।  
भारतीय संविधान की अनुसूंची की ट्रिक को अच्छे से समझने के लिए इस वीडियो को देखें 





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